भारत में विरोध प्रदर्शनों की खबरें लगातार आ रही हैं, विरोध विवादास्पद नागरिकता कानून CAA को लेकर हो रहा है लेकिन और भी कई शब्द सुनाई दे रहे हैं, जैसे NRC और NPR वगैरह.
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क्या आप बता सकते हैं कि विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं?
CAA पर पूरे भारत में हो रहे प्रदर्शन,और असम के प्रदर्शन एक-दूसरे से अलग हैं
असम की सीमा बांग्लादेश से लगती है, असम में बांग्लादेश से बहुत सारे लोग आते रहे हैं जिनमें हिंदू और मुसलमान दोनों है. असम के लोगों को लगता है कि बाहर के लोगों के आने से उनकी भाषा-संस्कृति और राज्य की आबादी की बनावट प्रभावित होगी, असम की जनता बाहरी लोगों का विरोध कर रही है, चाहे वे हिंदू हों या मुसलमान.
पूरे देश में हो रहे प्रदर्शनों में शामिल लोगों का कहना है कि यह भेदभाव करने वाला कानून है, उनका यह भी कहना है कि भारत के संविधान के तहत धर्म किसी भी मामले में निर्णय करने का आधार नहीं हो सकता.
वहीं देश के अन्य हिस्सों में इस क़ानून का विरोध करने वाले मानते हैं कि नागरिकता का संशोधित क़ानून ‘असंवैधानिक’ है, मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है इसलिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है.
पीएम मोदी हालांकि कह चुके हैं कि CAA नागरिकता देने के लिए है, न कि किसी की नागरिकता लेने के लिए.
10:06
तो CAA क्या है? NRC और NPR क्या हैं?
CAA यानी नागरिकता संशोधन क़ानून और NRC यानी नेशनल रजिस्टर फ़ॉर सिटिज़न्स का भारत की नागरिकता से ताल्लुक़ है. वहीं, NPR यानी नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर, उन लोगों का रजिस्टर है, जो देश में सामान्य तौर पर रहते हैं.
NPR के लिए कोई भी निवासी तब भारत का बाशिंदा माना जाता है अगर वह छह महीने से उस इलाक़े में रह रहा हो. इनमें विदेशी नागरिकों को भी शामिल किया जा सकता है.
लेकिन भाारत में रहने वाले सभी लोग भारत के नागरिक हों, ऐसा ज़रूरी नहीं है
आइए अब लौटते हैं नागरिकता संशोधन कानून CAA पर
नागरिकता संशोधन क़ानून यानी सीएए, भारत के तीन पड़ोसी देशों-पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देता है लेकिन...
...मुसलमानों को इससे बाहर रखा गया है.
10:07
CAA के बारे में बताएं
इस संशोधन के ज़रिए 64 साल पुराने नागरिकता कानून में बदलाव किया गया है, पुराना कानून अवैध तरीके से भारत में आए लोगों को नागरिकता देने से रोकता था
लेकिन अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से आने वाले लोगों को भारत की नागरिकता दी जा सकती है, सिर्फ़ मुसलमानों को छोड़कर.
बशर्ते कि व्यक्ति 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में दाखिल हुआ हो.
10:08
NRC के बारे में भी समझाइए
NRC का मतलब है, नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजंस
यह एक लिस्ट है जिसमें सभी भारतीय नागरिकों का ब्यौरा दर्ज होगा. ऐसी सूची असम में कोर्ट के आदेश पर बनाई गई थी जिसे लेकर काफ़ी विवाद हुआ. इस लिस्ट से 19 लाख लोग बाहर रह गए जो अपनी नागरिकता साबित नहीं कर सके.
इसके पीछे की कहानी को समझते हैं:असम के लिए पहला NRC 1951 में जनगणना के बाद तैयार किया गया था ताकि राज्य के नागरिकों का हिसाब रखा जा सके.
10:08
NRC के बारे में समझाइए
यह लिस्ट पहली बार 1951 में बनाई गई थी
उसके बाद से इसे अपडेट नहीं किया गया है
देश भर में विवाद छिड़ा हुआ है, हालांकि प्रधानमंत्री पीएम मोदी कह चुके हैं कि देशव्यापी NRC पर कोई चर्चा नहीं हुई है, लेकिन गृह मंत्री ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि पूरे देश में NRC लाई जाएगी.
10:08
NPR के बारे में विस्तार से समझाइए
NPR एक रजिस्टर है जिसमें उन सभी लोगों के नाम दर्ज होते हैं जो भारत में छह महीने या उससे ज्यादा समय से रह रहे हैं
NPR के आंकड़े पहली बार मकानों के डिटेल के साथ 2010 में दर्ज किए गए थे, यह काम 2011 की जनगणना से जोड़कर किया गया था.
इस आंकड़े को घर-घर जाकर 2015 में अपडेट किया गया था.
यह दूसरी बार होगा कि देश भर में NPR के आंकड़े जुटाए जाएंगे लेकिन असम इसमें शामिल नहीं होगा.
10:09
NCR और NPR के बीच क्या लिंक है?
2003 के नियमों के मुताबिक़, NPR से असल में NRC की बुनियाद तैयार होती है
देशव्यापी NRC असल में NPR में दर्ज ‘नागरिकों’ को सत्यापित करके ही हो सकता है
हालांकि गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि NPR के आंकड़े NRC के लिए इस्तेमाल नहीं किए जाएंगे लेकिन केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद एक अखबार को दिए गए इंटरव्यू में कह चुके हैं कि ऐसा हो भी सकता है.
10:09
असम के लोगों पर इसका क्या असर होगा?
1979 से 1985 के बीच चले असम आंदोलन के दौरान मांग उठी थी कि राज्य में रह रहे ‘विदेशियों’ को राज्य से निष्कासित किया जाए. ख़ास तौर से अवैध रूप से बांग्लादेश से आकर असम में बसे लोगों को बाहर निकाला जाए, चाहे वे हिंदू हों या मुसलमान.
1985 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तो आंदोलनकारियों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए जिसे असम एकॉर्ड के नाम से जाना जाता है
असम एकॉर्ड के तहत 31 दिसंबर 1965 तक राज्य में आए लोगों को नागरिकता दे दी गई...
...जो लोग 1966 से 24 मार्च 1971 के बीच असम में आए उनसे अपना नाम विदेशियों के रजिस्टर में दर्ज कराने को कहा गया.
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में 2019 में असम के लिए NRC की प्रक्रिया पूरी की गई, फ़ाइनल सूची में 19 लाख लोग अपनी नागरिकता साबित नहीं कर सके जिनमें बड़ी संख्या में हिंदू भी थे.
असम केे लोगों को इस बात की आशंका है कि CAA के तहत इन 19 लाख लोगों में से मुसलमानों को छोड़कर बाकी सबको नागरिकता मिल जाएगी
10:10
NPR की ज़रूरत ही क्या है?
NPR के तहत हर दस साल में आंकड़े जमा किए जाने हैं, इसकी शुरूआत 2010 में यूपीए सरकार के तहत हुई थी
नियमों के मुताबिक भारत में रह रहे हर व्यक्ति का नाम इस रजिस्टर में दर्ज होना चाहिए
सरकार का कहना है कि NPR के तहत कोई दस्तावेज या सबूत नहीं देने हैं, बायोमेट्रिक डिटेल भी नहीं लिए जाएंगे
10:10
फिर विवाद किस बात पर है?
लोगों को डर है कि NPR के तहत जुटाए गए आंकड़ों का इस्तेमाल NRC के लिए होगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं देशव्यापी NRC पर कोई चर्चा नहीं हुई है. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि देशव्यापी NRC होगा या नहीं, या कब होगा, या किस तरह होगा.
अब तक, केरल और पश्चिम बंगाल, ऐसे दो राज्य हैं जिन्होंने अपने यहां एनपीआर लागू करने से साफ़ इनकार कर दिया है, पंजाब ने भी ऐसे ही बात कही है.
10:10
रुकिए…तो क्या NPR और जनणना के बीच भी कोई फ़र्क़ है?
जी हां, फर्क है
जनगणना हर दस साल में होने वाली एक प्रक्रिया है जिसके तहत भारत में रह रहे सभी लोगों के बारे में जानकारियां जुटाई जाती हैं.
जनगणना में जुटाई गई व्यक्तिगत जानकारी गोपनीय रखी जाती है,
जबकि NPR का इस्तेमाल सरकारी योजनाओं के बारे में निर्णय लेने के लिए किया जा सकता है.
10:11
क्या यह पहला NPR है?
नहीं, NPR पहली बार 2010 में किया गया था, 2011 की जनगणना से एक साल पहले, इसे नागरिकता कानून (नागरिक पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र) 2003 के तहत पूरा किया गया
इसके आंकड़ों को 2015 में घर-घर सर्वे के ज़रिए अपडेट किया गया था.
10:11
तो, ये 2003 के नियम आख़िर हैं क्या?
इसे समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे यानी साल 2000 में जाना पड़ेगा.
वर्ष 2000 में कारगिल रिव्यू कमेटी (KRC) की सिफ़ारिशों पर विचार-विमर्श के लिए मंत्रियों का एक समूह गठित किया गया था.
इस कमेटी ने सुझाव दिए थे कि भारत में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासी लोगों की समस्या को देखते हुए, देश के नागरिकों और बाहरी लोगों का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए
कमेटी ने ये सुझाव भी दिया था कि देश के सभी नागरिकों को एक राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी किया जाए
इसी के बाद देश में NPR को तैयार करने की शुरुआत हुई थी.
10:11
और, नागरिकता क़ानून का विवाद क्या है?
भारत का नागरिकता क़ानून, देश के गणराज्य घोषित होने के छह साल बाद यानी 1955 में संसद से पारित हुआ था. इस क़ानून के मुताबिक़, भारत की नागरिकता हासिल करने के चार तरीक़े हैं-
जन्म से
विरासत से
रजिस्ट्रेशन से
देशीकरण या नेचुरलाइज़ेशन से
10:11
जन्म से मिलने वाली नागरकिता के बारे में बताएं
हर व्यक्ति जो 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद पैदा हुआ हो वह भारत का नागरिक है, चाहे उसके माता-पिता उसके जन्म के समय किसी भी देश के नागरिक हों. 1 जुलाई 1987 के बाद पैदा हुए लोगों के लिए नियम अलग हैं.
एक जुलाई 1987 से लेकर दो दिसंबर 2004 के बीच भारत में पैदा हुए लोगों को तभी नागरिक माना जाता है जब उनके जन्म के समय उनके माता-पिता में से कम-से-कम एक व्यक्ति भारत का नागरिक हो
दो दिसंबर 2004 के बाद पैदा हुए हर उस व्यक्ति को भारत का नागरिक माना जाता है जिसके जन्म के समय उसके माता-पिता में से कम से कम एक व्यक्ति भारत का नागरिक हो और माता-पिता में से कोई भी व्यक्ति अवैध तरीके से भारत में न रह रहा हो
10:12
विरासत के तौर पर नागरिकता
कोई व्यक्ति जिसका जन्म भारत से बाहर, 26 जनवरी 1950 के बाद हुआ हो, जिसके पिता उसके जन्म के समय भारत के नागरिक हों तो वह भारत का नागरिक हो सकता है
कोई व्यक्ति जिसका जन्म भाारत से बाहर, 10 दिसंबर 1992 और तीन दिसंबर 2004 के बीच हुआ हो, और उसके माता-पिता में से कम से कम एक व्यक्ति जन्म से भारत का नागरिक हो, तो वह व्यक्ति भारत का नागरिक हो सकता है.
10:12
रजिस्ट्रे्शन के जरिए नागरिकता के बारे में बताइए
किसी भारतीय नागरिक से विवाहित व्यक्ति भारत में सात साल तक रहने के बाद रजिस्ट्रेशन के जरिए नागरिकता ले सकता है
भारतीय नागरिकों के नाबालिग बच्चे रजिस्ट्रेशन के ज़रिए नागरिकता ले सकते हैं
किसी भारतीय नागरिक से विवाहित व्यक्ति भारत में सात साल तक रहने के बाद रजिस्ट्रेशन के जरिए नागरिकता ले सकता है
भारतीय नागरिकों के नाबालिग बच्चे रजिस्ट्रेशन के ज़रिए नागरिकता ले सकते हैं
10:13
देशीयकरण या नैचुरलाइजेशन क्या है?
कोई व्यक्ति भी व्यक्ति जो वैध तरीके से भारत में 12 साल से अधिक समय से रह रहा हो और नागरिकता कानून के तहत सभी शर्तें पूरी करता हो, वह भारत की नागरिकता ले सकता है.
10:13
तो, सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर सबसे ताज़ा अपडेट क्या है?
भारत की संसद के दोनों सदनों से पारित होने और राष्ट्रपति के दस्तख़त के बाद, नागरिकता संशोधन बिल अब नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) बन चुका है.
लेकिन ढेर सारी याचिकाओं के ज़रिए इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और उनकी सुनवाई होनी बाकी है
जहां तक NRC का सवाल है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट रूप से कहा है कि फिलहाल ‘एनआरसी’ पर कोई चर्चा नहीं हो रही है
और…NPR तैयार करने का काम अप्रैल से सितंबर 2020 के बीच किया जाएगा
भारत सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर तैयार करने के लिए 3941.36 रुपए के बजट को पहले ही मंज़ूरी दे दी है.
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