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हम जो भी हैं... आप जैसे हैं, जो साइड पे खड़े होकर सरकारों और पार्टियों को हमारा रोज़ काटते हुए देखते हैं।

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CAA, NRC और NPR क्या है इन जुड़े सवाल क्या आप ऐसे समज सकते है

भारत में विरोध प्रदर्शनों की खबरें लगातार आ रही हैं, विरोध विवादास्पद नागरिकता कानून CAA को लेकर हो रहा है लेकिन और भी कई शब्द सुनाई दे रहे हैं, जैसे NRC और NPR वगैरह. 16 क्या आप बता सकते हैं कि विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं? CAA पर पूरे भारत में हो रहे प्रदर्शन,और असम के प्रदर्शन एक-दूसरे से अलग हैं असम की सीमा बांग्लादेश से लगती है, असम में बांग्लादेश से बहुत सारे लोग आते रहे हैं जिनमें हिंदू और मुसलमान दोनों है. असम के लोगों को लगता है कि बाहर के लोगों के आने से उनकी भाषा-संस्कृति और राज्य की आबादी की बनावट प्रभावित होगी, असम की जनता बाहरी लोगों का विरोध कर रही है, चाहे वे हिंदू हों या मुसलमान. पूरे देश में हो रहे प्रदर्शनों में शामिल लोगों का कहना है कि यह भेदभाव करने वाला कानून है, उनका यह भी कहना है कि भारत के संविधान के तहत धर्म किसी भी मामले में निर्णय करने का आधार नहीं हो सकता. वहीं देश के अन्य हिस्सों में इस क़ानून का विरोध करने वाले मानते हैं कि नागरिकता का संशोधित क़ानून ‘असंवैधानिक’ है, मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है इसलिए भारत के संविधान के अनुच्

कन्बी/कुनबी/कुर्मी जाति पुंज और गूजर

कन्बी/कुनबी/कुर्मी जाति पुंज और गूजर डा.सुशील भाटी मूल विषय पर आने से पहले भारतीय जाति व्यवस्था के अंग- जनजाति, कबीलाई जाति, जाति, जाति पुंज आदि पर चर्चा आवश्यक हैं| जनजाति ( Tribe) अथवा कबीले का अर्थ हैं एक ही कुल ‘ वंश ’ के विस्तार से निर्मित अंतर्विवाही जन समूह| जनजाति अथवा कबीला एक ही पूर्वज की संतान माना जाता हैं, जोकि वास्तविक अथवा काल्पनिक हो सकता हैं| रक्त संबंधो पर आधारित सामाजिक समानता और भाईचारा जनजातियो की खास विशेषता होती हैं| भील, मुंडा, संथाल, गोंड आदि जनजातियों के उदहारण हैं| कबीलाई जाति ( Tribal caste) वो जातिया हैं, जो मूल रूप से कबीले हैं, किन्तु भारतीय समाज में व्याप्त जाति व्यवस्था के प्रभाव में एक जाति बन गए, जैसे- जाट, गूजर, अहीर, मेव आदि| इन जातियों को हरबर्ट रिजले ने 1901 की भारतीय जनगणना में कबीलाई जाति ( Tribal caste) कहा हैं| जाति ( Caste) एक अंतर्विवाही समूह के साथ-साथ एक प्रस्थिति ( Status group) और एक व्यवसायी समूह भी हैं| किसी भी अंतर्विवाही समूह का एक पैत्रक व्यवसाय होना, जाति की खास विशेषता हैं| जैसे ब्राह्मण, बनिया, लोहा